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Friday, August 27, 2010

स्वत्रंतता

आज हमारे देश कि ६२ व़ा स्वत्रंतता दिवस कि सबको सुभकामनाए आजादी को अनुभव करना और उसकी खुसी को अनुभव करना तो एक पिजरे में कैद तोते से पूछे हम तो मनुष्य है हमें आजादी मिलीं भी तो किस चीज कि और कहाँ तक , आज हम आपनी आवाज बुलंद कर सकते है , हर किसी से आपनी बात बता सकते हैं , परन्तु इस बात से क्या फर्क पड़ता है, आज ऊँचे पायदान पर बैठा इन्शान जो कर रहा है ,वोह सब ठीक है किसे क्या लेना देना कह कर इतिश्री कर लेते हैं , जनता पर वही राज कर सकता है , जिसके पास यह कला होता है कि भोली भाली जनता को कम से कम सुविधाएँ उपलब्ध हो कम से कम ज्ञान हो जागरूकता भी ना हो, इस प्रकार समाज का ध्यान दूसरी ओर ना जा पायें और बह आपनी ही समस्याओ में उलझा रहे , दूसरी बात उसे सोचने का मौका ही ना मिल पाए

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