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Wednesday, September 15, 2010
मानव मन
जो हमे मिला नही , जो हमने देखा नही , जिसे हमने चखा नही ,जो हम कभी वोले नही, और जिस काम को कभी किया न हो यह मानव मन वही काम को करने के लिए सदैव परेशान रहता है, एक समय एसा आता है,जब हमारा मन इतना अधीर हो जाता है कि हमारा मन उसी काम को करने के लिये कदम आगे बढ़ा देते है और उस काम को कर बहुत खुश होते हैं चाहे उस काम का पतिफल अने वाले समय मे खराब हो या भला ये सोचे समझे बिना हम उस काम को अंजाम देने लगते हैं । अगर हम कोई काम को अंजाम देने से पहले जरा सोंच ले तो उस काम का फल ठिक हो सकता है ,यह बहुत कुछ आप के सोंच पर भी टिका है , जैसा हमारा दिमाग सोचेगा या जंहा तक हम सोच पाऐगें वैसा ही हमारा काम करने का तरिका होगा और उसका पतिफल वैसा ही होगा, चाहे फल तत्काल मिले या देर से इसलिये काम मे सुचिता तो फल में भी सुचिता होगी । हम मे से अधिक तर लोग इस बात पर धयान नही दे पाते हैं , इस कारण तमामो परेशानिया पैदा होती है,हर काम का पतिफल केवल ऍक आदमी तक सिमीत न हो कर दूसरो को, आपके घर के और समाज के आदमी को भी पभावित करती हैं।
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2 comments:
padhkar achha laga !!!
अथाह...
!!!
अच्छा लिखा है
http://veenakesur.blogspot.com/
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