दिनांक – 20 दिसम्बर
माननीय अनिल धारकर जी , दैनिक भाष्कर ई पेपर के संपादकीय में छपा आप का लेख ‘ खुलासा या खबर ’ पढ़ा आपने बिल्कुल सही लिखा है। कि आज कल मीडिया जो हमारे समाज के प्रमुख स्तंभों में से एक है, समाज के लगभग सभी लोग मीडिया पर विश्वास और उनके काम की सराहना करते हैं, साथ ही साथ मीडिया से डरा भी करते थे परन्तु अभी-अभी कुछ एक पत्रकारों की बड़े-बड़े भ्रष्टाचारियों और कार्पोरेट घरानों से जुड़े होने की बात खबरों से खुलासा हुआ। जिससे मीडिया कर्मियों की साफसुथरी छवि को धक्का लगना स्वाभाविक है। इस तरह तो मीडिया पर से जनता का विश्वास ही उठ जायेगा। मैंने कुछ एक पत्रकारों को देखा है। अपने मुहल्लों या इलाके में या पुलिस में अपना रौब दिखाते हैं। कि जानते नहीं हो मैं अमुक पत्रकार हूँ। अभी साहब से कह कर तुम्हारी खाल खिचवा लूंगा। इस रौब से अपने उल्टे-सीधे काम उनसे करवा लेते हैं। खैर अच्छा काम तो ठीक है, परन्तु गलत काम ज्यादा होते हैं। कभी-कभी शराबखाने में या भीड़-भाड़ वाली जगह में या खुले सड़क पर मारपीट पर उतारु हो जाते या कर लेते हैं। जब प्रशासन में बैठे लोगों पर अपने उल्टे-सीधे काम करवाने के लिए इस वर्गों के लोगों द्वारा दबाव बनाया जायेगा तो स्वावाभिक रुप से प्रशासन के लोग भी अपने उल्टे-सीधे कमों के लिए उनसे से कहेगें। ऐसा नहीं है, कि सभी पत्रकार ऐसे हैं, मेरा यह कहने आशय है, कि इसी तरह धीरे-धीरे इस वर्गों के लोगों को भी भ्रष्टाचारी की जड़ जकड़ लेंगी। मीडिया कर्मियों के इस तरह के आचरण पर अभी से ध्यान नहीं दिया गया तो इसमें संदेह नहीं है, कि भविष्य में भष्टाचारियों की लम्बी सूची में इनके भी नाम समाचार पत्रों के मुख्य पृष्ठों की खबर बन जाएं।
G.K. Chakravorty.
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