सम्मानीया मृणाल पाण्डे जी नमस्कार, दिनांक – 9 दिसम्बर 2010
‘ दैनिक भास्कर ’ E- पेपर मे छपा आपका लेख ‘ कठघरे में मीडिया ’ Updated 00:25(08/12/10) पढ़ा बहुत अच्छा लगा। ऐसा लगता है कि हाल के दिनों मे पूरी की पूरी मीडिया भ्रष्टाचार पर ही केन्द्रीत हो कर रह गई है। हमे चौंक्कना रहना चाहिए समाज मे घटित होने वाले दुसरे घटनाओं पर और दूसरे समस्याओं पर भी कहीं ऐसा न हो कोई नये घोटाले का बिज अंकूरित हो रहा हो और हमे पता भी न चले मीडिया को एक सजग पहरे दार की भूमिका निभाते रहना चाहिए। हमारे इसी वर्ग के लोग दिन-रात एक पहरी की तरह समाज पर नजर गड़ाये रहते हैं, और आगे भी निश कलंकित भूमिका को निभाते रहने की संक्लप के साथ अपना काम करते रखेंगें। आज मीडिया क्षेत्र को स्वच्छ बनाये रखने की जरुरत है, अभी हाल ही मे कुछ एक पत्रकारो द्वारा बड़े कार्पोरेट घरानों, बड़े- बड़े नेताओ से संम्बंध और दलाली मे उनका नाम उजागर हुआ है। आज के हिन्दूस्तान दिनांक- 10 दिसमबर 2010 के लखनऊ नगर संस्करण के 13 नम्बर पन्ने पर कलंक कथा-2 नाम से छपा घोटालेबाजो की सूची की तरह मीडिया एवं अन्य मंत्रालयो से जुड़े भष्टाचारो की सूची भी छपे इसमे भी कोई आश्चर्य की बात नही है। यह बड़ी बिड़ंम्बना की बात है कि हमारे देश मे जब तक कोई समस्या बड़े रुप मे सामने नही आती है, तब तक कोई भी उसके बारे मे या उसको रोकने की बात नही सोचता, पता भी लग जाएँ तब भी नही। अब जरा देखिए आज कौन सा ऐसा क्षेत्र बचा है जो भ्रष्टाचार मे लिप्त न हो भ्रष्टाचार का मिठा जहर सभी क्षेत्र मे फैल कर उसको दूषित कर चुकी है। देश के न्यायालय, मंत्री से लेकर नौकरशाह तक, प्रशासन से मीडिया तक जो हमारे समाज के स्तंभ है। इस तंत्र को ठिक कर सकने वाले लोग खुद ही बड़े-बड़े भ्रष्टाचार या भ्रष्टाचारीयों से जुड़े हैं। ऐसे मे प्रशन यह उठता है कि इस तंत्र को कौन ठिक कर सकेगा ? उत्तर है। वह भी सिर्फ एक, जब तक पनी सर के ऊपर से गुजरने न लगे तब तक भारत की जनता नही जागेगी। जन आंन्दोलन ही इसका उपाय है।
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