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Tuesday, October 26, 2010

आस्तिक या नास्तिक।

आस्तिक या नास्तिक
दिनांक – 26 अक्तुवर 2010
इस दुनिया मे आस्तिक और नास्तिक दोनो प्रकार ने लोग मिल जाएँगे, आस्तिक भगवान या ईश्वर के सत्ता को स्विकारते हैं ठीक इसके विपरीत नास्तिक लोग ईश्वरीय सत्ता को नकारते हैं। भगवान का शाब्दिक अर्थ है, पहला शब्द – , से –भूमि , दूसरा – से गगन (आकाश) , तिसरा- वासे वायु (हवा), और चौथा शव्द , से निर(जल) का बोध होता हैं, प्रत्येक प्राणी के लिए इन चारो का होना आवश्क है। इस नाम का दूसरा अर्थ भग से – योनी और वान- से चालक का बोध होता है। प्रत्येक प्राणी योनी से ही उत्पन्न होता है। कुछ लोग इस संसार को केवल विज्ञान की देन ही मानते हैं । ऐसे लोग पृथ्वी के उत्पत्ती का कारण विज्ञान को ही मानते है डाँक्टर की डाँक्टरी मेडिकल सांईन्स विज्ञान की ही देन है । जब कोई मनुष्य बिमार पड़ता है तो डाँक्टर उसका ऊपचार करता है और वह ठिक हो जाता है परन्तु वही डाँक्टर अस्पताल मे पड़े हुए मरीज का ऊपचार करते-करते थक जाता और उसे ठीक नही कर पाता है तब उस मरिज के तिमार दारो से यह कहते हुए डाँक्टर को अकसर सुना जा सकता है कि मेरे साध्य मे जो कुछ था, मै कर चूका हूँ अब कुछ नही हो सकता है, आप लोग ऊपर वाले से प्रार्थना करेँ अगर वह कुछ चमत्कार कर कर दिखाये अर्थात, सांईन्स भी ऊपर वाले की शक्ति को मानता है यह अलग बात है कि सांईन्स ऊपर वाले को(Supreme Power ) मानता है। नाम अलग-अलग होने से वस्तु बदल नही जाती है । कभी-कभी वास्तव मे चमत्कार भी हो जाता है, मरणासन्न व्यक्ति जिवित हो उठता है । मनुष्य जिस विषय मे नही जानता, पहले कभी सुना और न देखा हो वह उसके लिए आश्चर्यजनक होता है । सब कुछ जान लेने के बाद मनुष्य का आश्चर्य और जिज्ञ्यासा समाप्त हो जाता है । भूगोल प्रश्न करता है और विज्ञान उसका उत्तर देता ,या ढूँढता है। बहुत समय तक हमारे समाज के नास्तिको व्दरा महाभारत, रामायण, और पुराणों को नकारा जाता रहा। आधुनिक काल मे वैज्ञानिको ने हवाई जहाज बना डाला तब रामायण मे वर्णित, रावण के पुष्पक विमान को कोई कैसे झूठला सकता है। कृष्ण की व्दरिका नगरी का भग्नावशेष नदि के पानी मे निचे मिले तो उस काल मे कृष्ण की उपस्थिती को कोई कैसे नकार सकता है। महाभारत युध्द मे भिम व्दरा आकाश मे उछाले गये हाथि एवं अश्व जो पृथ्वी पर वापस लौट कर नही आये उसका भी वैज्ञानिक कारण था । जैसा कि हम सभी यह जानते हैं कि आकाश के वायुमंडल मे 320 किलो मिटर तक हवा है उसके ऊपर हवा का दाव न होने के कारण पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण वल क्षिण हो जाता है जिस कारण 320 कि0 मी0 के ऊपर गयी हुई वस्तु पृथ्वी पर वापस नही आ सकती है इसका अर्थ यह हुआ कि महाभारत मे भिम के शक्ति का जो उल्लेख मिलता है वह सत्य है। इसी तरह शिव पुराण एवं रामायण, महाभारत मे कई स्थानो पर मान सरोवर का उल्लेख मिलता है यह स्थान हिमालय के गोद मे बसा हुआ एक अती रमर्णीय प्राकतिक सौंन्दर्य से सुसज्जित अद्भुत स्थान है जो भगवान शंकर का निवास स्थान हुआ करता था । आज पर्याविदो ने उस जगह को ढूँढ लिया है । प्रत्येक बर्ष बहुत से पर्याटक याँहा पहुँचा करते हैं दुनिया भर मे केवल गुलाबी रंग के राजहंस याँहा के झिल मे तैरते पाये जा सकते हैं । यह अलग बात है कि आज करोड़ो बर्षो बाद मान सरोवर की जलवायु,प्रकृती एवं वहाँ की स्थिती में अनेको परिर्वतन हो चुके है, फिर भी आज तक वहाँ की प्राकृतिक सौंन्द्रर्य एवं स्वर्ग होने का प्रमाण अपने आँचंल मे समेटे हुए है।

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