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Tuesday, October 26, 2010

फिर एक नयी सुबह आयेगी

फिर एक नयी सुबह आयेगी

दिनांक – 26 अक्तुबर 2010

किसी भी राष्ट्र की शक्ति उसकी जनता होती है। राष्ट्र की मजबूती और सक्षमता इस बात पर निर्भर करती है कि उसकी जनता कितनी जागरुक,शिक्षीत व, देश की जनता को कितनी सुविधायँ और देश मे क्या-क्या संसाधन उपलब्ध है। आज हमारे देश को स्वतंत्र हुए पुरे साठ बर्ष से अधिक हो चुके हैं परन्तु हमारे देश मे इन सभी चिजो का अभाव आज भी वना हुआ है । ऐसा नही है कि जनता के सशक्तिकरण एवं भले के लिए योजनाएँ नही बनती है,परन्तु देर सवेर यह परियोजनाएँ ठंडे बस्ते मे चली जाती है या नेताओ एवं भष्टाचारियो के भेंट चढ़ जाती आज चारो तरफ भष्टाचारियों का बोल बाला है, भष्टाचारि भी इसी समाज मे रहता है । हमारे समाज के उत्थान,पतन का लाभ – हानी उन्हे भी समान रुप से उठाना पड़ेगा परन्तु यह बात उनके समझ मे नही आती है ऐसे लोग केवल अपने लाभ हानी तक ही सिमीत रह कर हमेशा भ्रष्ट कार्यो मे लिप्त रहते हैं, आखिर ऐसे लोग कब और कैसे समझेगें यह तो नही पता लेकिन एक समय ऐसा अवश्य आयेगा कि ऐसे लोग अपने व्दरा किये कार्यो पर रोयेगें यह बता पना तो कठिन है कि ऐसा यमय कब क्यों और कैसे किस रुप मे आयेगा परन्तु यह निश्चित है कि किसी भी देश के किसी भी शासन मे ऐसा बहुत दिनो तक नही चल पाया और न चल पायेगा, कहीं ऐसा न हो कि बह समय आते-आते इतना लम्बा समय लग जाये कि जनता के अन्दर का आक्रोश फट पड़े और एक नयी क्रांन्ति के रुप मे जन्म लेकर सब कुछ का नाश कर दे, फिर एक नया सूरज एक नयी सुबह लेकर आयेगी ।

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